गुरुवार, 26 मार्च 2009

बूढे देश का यंग लीडर कहां है?

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। अगर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में केन्द्र में सरकार बनायेगी तो मनमोहन सिंह ही प्रधानमंत्री होंगे। कांग्रेस में कुछेक राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे तो कुछेक चाहते थे कि सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने से इन्कार नहीं करना चाहिए। लेकिन कांग्रेस की घोषणा ने इन तमाम को चुप करा दिया और स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस सरकार बनायेगी तो मनमोहन सिंह ही प्रधानमंत्री होंगे। अभी के हालात के मद्देनजर आनेवाले समय में हो सकता है कि कांग्रेस का यह निर्णय सही साबित हो। बीजेपी ने इससे पहले ही अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी थी और बीजेपी बहुमती के साथ सरकार बनायेगी तो दिल्ली के तख्त पर आडवाणी का राजतिलक होगा, ऐसा साफ कर चुकी है। कांग्रेस और बीजेपी के अलावा इस देश में एक तीसरा मोरचा भी है और इस तीसरे मोरचे ने मायावती को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार स्वीकार किया है।
कांग्रेस की इस घोषणा के साथ प्रधानमंत्री पद का जंग मनमोहन सिंह और आडवाणी के बीच होगा यह साफ हो गया है। लेकिन इस स्थिति पर हमें हंसना चाहिए या दु:खी होना यह समझ में नहीं आ रहा।
अब बात करते है बूढे होते देश के लीडर के बारे में। मनमोहन सिंह की उम्र 76 साल की है और आडवाणी की उम्र 81 साल की है। इस बूढे देश की कुल आबादी में से 75 प्रतिशत आबादी 40 से भी कम उम्रवाले लोगों की है। और इस देश में प्रधानमंत्री पद की रेस में 81 और 76 साल के बुजुर्ग है। जिस देश में देश की गद्दी पर कौन बैठेगा इसका निर्णय करने वाले वोटरों में से 75 प्रतिशत 40 से भी कम उम्र के युवा हो तो देश में दो मुख्य राजनैतिक पार्टियों के पास क्या एक भी युवा नेता नहीं है? वैसे इंसान की कार्यक्षमता को उम्र के साथ कोई लेना-देना नहीं है। और आडवाणी इस बात को दोहरा चुके है। उम्र और कार्यक्षमता का कोई लेना-देना नहीं है ऐसा हमने बहुत से किस्सो में भी देखा है लेकिन कम से कम आडवाणी और मनमोहन सिंह को यह बात लागु नहीं होती। देश ने इन दोनों का अनुभव कर लिया है या एक तरह से इन दोनों को सहा है और इन दोनों का अनुभव कैसा था यह कहने की जरुरत भी नहीं है।
ऐसा कहा जाता है कि आपको जनता की सेवा करनी है तो उसके लिए सत्ता की कोई जरुरत नहीं है। इस देश में बिना सत्ता के भी जनता की अच्छी सेवा करने वाले पैदा हुए भी है। यहां सवाल उम्र और कार्यक्षमता का नहीं लेकिन नियत का है। और हमारे नेता इस देश के युवाओं के लिए जगह छोडते ही नहीं है। मनमोहन सिंह और आडवाणी को मौका ना मिला हो ऐसा तो है नहीं। इन्हें पूरा मौका मिला था अपनी काबिलियत दिखाने का लेकिन...!!!
आज दुनिया बदल रही है और यह बूढा भारत जहां का वहां खडा है। एक युवा प्रधानमंत्री क्या कर सकता है इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण राजीव गांधी है। राजीव ने इस देश में प्रधानमंत्री बनने के बाद टेलिकॉम क्रांति लाकर देश की शक्ले सूरत बदल दी थी। इस देश में युवा नेताओं की कमी नहीं है। युवाओं को मौका दीजिए ताकि आनेवाले समय में वे अपनी शक्तियों का परिचय दे सकें। फिलहाल तो पांच साल के लिए यह महत्वकांक्षा दफन हो चुकी है।

जय हिंद