रविवार, 30 नवंबर 2008

दिखावा करना पाप है राज !

सहनशील भारत... सार्वभौम भारत... धर्मनिरपेक्ष भारत !
जिसने जो चाहा कर के चला गया। मुंबई आज पहली बार नहीं दहली है और ना ही देश का कोई हिस्सा अब दहशतगर्द से अछूता है।
अब क्यों शतुरमुर्ग बने बैठे हो राज ? क्यों चुप्पी साध ली तुम्हारी महाराष्ट्रवादिता ने ? मेरे सवालों का जवाब दो राज ! आज तुम्हारी ‘आमची मुंबई’ बम-बारूद से तहस-नहस हो गई है। पूरी मुंबई अवाक बन गई है इस रक्तपात से। चारों ओर बस खून ही खून है यहां। मरने वालों के परिवारजनों के करूण विलाप की चीखों पर आतंकवादी अट्टहास कर रहे होंगे। जिस तरह तुमने बिहार से आये छात्रों को सडकों पर दौडा-दौडा कर मारा था। किसी ओर प्रांत के लोगों से नफरत के नाम पर कई लोगों की जानें तुमने पिछले दिनों ली है और मरनेवालों के परिवारजनों के करूण विलाप पर तुमने भी ऐसा ही अट्टहास किया होगा ना !
महाराष्ट्र के नाम पर लोगों की कोमल भावनाओं को बहकाकर सत्ता की तमाम सीढियां नापी है ना राज! कभी तो देश के असली काम आओ भाई। इस देश में सिर्फ तुम ही नहीं यहां के सारे नेताओं ने पिछले साठ सालों में नफरत का बीज रोपने के अलावा कुछ नहीं किया। राज! तुम तो जब-तब अपनी गर्जना से देश के अखबारों की सुर्खियों में छाते रहते हो ना! ऐसे वक्त में कहां छिप गये हो। अभी महाराष्ट्र को तुम्हारी और सिर्फ तुम्हारी ही जरूरत है।
हमारे मिलेट्री के जवान में ज्यादातर उत्तर भारतीय है। आज इन जवानों के कारण ही मुंबई आतंक से मुक्त हो पाया है। इन्होंने अपनी जान पर खेलकर इस मुंबई को बचाया है राज। ये जवान तुम्हारी तरह नहीं सोचते। इनके लिए देश का हर हिस्सा इनका अपना है। ये देश को चाहने वाले है सत्ता को नहीं। इसलिए आज इनकी बदौलत मुंबई फिर से चलने लगी है। तुम्हें तो इनका शुक्रगुजार होना चाहिए, है ना! सलाम करो उन जवानों को राज !
जय हिंद

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