आज मैं आपके सामने यह सवाल लेकर आई हूं कि, लोकसभा चुनावों में सभी पार्टियों द्वारा जमकर अपराधी पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को टिकट दिए गए है। सबसे पहले बात करते है कौन से राज्यों में चुनाव है। आज लगभग एक माह तक चलनेवाले चुनाव का श्रीगणेश हो गया है। लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में आज देश के 14 राज्य और तीन केन्द्रशासित प्रदेशों की कुल 124 बैठकों के लिए मतदान होनेवाले है। आज प्रथम चरण में जिन राज्यों में मतदान होनेवाले है उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश जैसे राज्य है जो आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश में किसकी सत्ता होगी यह तय करने के लिए महत्वपूर्ण राज्य है। इसके अलावा मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे इक्के-दुक्के राज्य भी चुनावी मैदान में है। आंध्रप्रदेश और ओरिस्सा में तो लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा के चुनाव भी है और इन दोनों राज्यों में जो राजनीतिक संकेत और दृश्य दिखलाई दे रहे है उसे देखते हुए दोनों राज्यों की विधानसभा चुनाव भी लोकसभा जितनी ही दिलचस्प है।
आंध्रप्रदेश में कांग्रस के राजशेखर रेड्डी ने मुसलमानों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की रेवडी दिखाकर जंग शुरु किया है और यह तुक्का कितना सफल होता है इस पर सभी की नजर है। आंध्र में यह तुक्का सफल हुआ तो लालुप्रसाद यादव, मुलायमसिंह आदि लाइन में खडे ही है और फिर मुस्लिम आरक्षण की रेवडियां बांटने की प्रतिस्पर्धा शुरु हो जायेगी।
ओरिस्सा में नवीन पटनायक और भाजपा दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। नवीन दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके है लेकिन उस समय स्थिति कुछ ओर थी। उस समय भाजपा उनके साथ थी। बैठकों के बंटवारे के मामले तकरार होने के बाद नवीन और भाजपा आमने-सामने है और इन दोनों में से कौन ताकतवर है यह चुनाव के बाद साबित हो ही जायेगा। नवीन पटनायक के लिए यह मुकाबला शायद उनके अस्तित्व का प्रश्न है क्योंकि वे इस जंग में हार जायेंगे तो उनकी राष्ट्रीय स्तर पर जो छवि है वो मिट जायेगी। फिलहाल नवीन तीसरे मोर्चे के साथ है। इसके साथ ही तीसरे मोर्चे की ताकत का भी पता चल जायेगा।
लोकसभा चुनाव में भी कल जिन बैठकों पर मतदान होनेवाले है उनमें कुछेक मुकाबले भी दिलचस्प है। बिहार में सरन बैठक पर से लालुप्रसाद खडे है और उनके सामने भाजपा के राजीवप्रताप रुडी को मैदान में उतारा गया है। लालु के लिए यह इज्जत का सवाल है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में वाराणसी बैठक पर से भाजपा के मुरली मनोहर जोशी के सामने बसपा के मुख्तार अंसारी मैदान में है। अंसारी गेंगस्टर है और अभी वे जेल में है। इन दोनों में से किसकी जीत होगी इस पर सभी की नजर है।
अब मुख्य मुद्दे पर आते है। सवाल है अपराधिक पृष्ठभूमि वाले हमारे नेताओं की। प्रथम चरण में जहां मतदान होने वाले है वे 124 बैठक पर खडे प्रत्याशियों की एफिडेविट्स के आधार पर जो चित्र उभर कर सामने आया है उसके मुताबिक इस प्रथम चरण में जो प्रत्याशी चुनावी मैदान में खडे है उनमें से 16% प्रत्याशी अपराधिक पृष्ठभूमि वाले है और इस चित्र की सबसे आघातजनक बात तो यह है कि इन अपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को टिकट देने में कांग्रेस और भाजपा जैसे राष्ट्रीय दल सबसे आगे है। प्रथम चरण के चुनाव में 124 बैठक पर कांग्रेस के 93 प्रत्याशी मैदान में है और उनमें से 24 यानि कि 26% उम्मीदवार अपराधिक पृष्ठभूमि वाले है। उसी तरह भाजपा के 79 में से 23 यानि कि 29% प्रत्याशी अपराधिक पृष्ठभूमि वाले है। सीपीआई-एमएल, जेडीयु, टीडीपी, राजद, समाजवादी पार्टी आदि के तो 40% से भी ज्यादा प्रत्याशी अपराधिक पृष्ठभूमि वाले है। वैसे भी इनके पास इसके अलावा कोई उम्मीद रखनी भी नहीं चाहिए लेकिन भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को देखकर मुझे बहुत दु:ख हो रहा है।
हमें इन राजनीतिक दलों पर सारा दोष डालने का कोई हक भी नहीं है। ऐसा नहीं कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है लेकिन उनसे भी ज्यादा दोषी हम है, यानि जनता है।
राजनीतिक दल अपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को टिकट देती है तब उनकी एक ही दलील होती है कि हमने जो प्रत्याशी पसंद किए है उनके सामने आरोप दर्ज तो हुए है लेकिन वे अपराधी साबित नहीं हुए और जब तक कोई व्यक्ति न्यायतंत्र द्वारा अपराधी साबित नहीं हो जाता तब तक उसे अपराधी कैसे मान लिया आए? राजनीतिक दल ऐसे प्रत्याशियों को इसलिए पसंद करती है कि यह लोग आसानी से जीत जाते है। दोष हमारा है कि हम ऐसे प्रत्याशियों को वोट देते है और चुनते है। हमारा लोकतंत्र और सिस्टम जो सबसे ज्यादा ताकतवर होता है उसे हम पर थोप देती है। हां, यह भी सही है कि जनता उन गेंगस्टर के सामने लड नहीं सकती लेकिन चुनाव में वह अपनी इस ठंडी ताकत को जरुर दिखा सकती है। समस्या यह है कि हम इतने डरपोक है कि हमें अपनी ताकत का एहसास ही नहीं होता और इसी कारण यह अपराधी चुने जाते है। जब तक हम अपना सही निर्णय नहीं लेंगे ऐसे अपराधी जीतते रहेंगे। फिर कहना नहीं कि मैंने चेतावनी नहीं दी थी। अब आगे फैसला आपके हाथ में है। मतदाता एक दिन का राजा होता है तो उसे ही तय करना है कि अगले पांच वर्षों के लिए उसे कैसा राजा चाहिए।
पास हमारे वोट है चुनें सही सरकार
सही जनमत से ही होगा जनतंत्र का उद्धार
जय हिंद
पूज्य माँ
11 वर्ष पहले
3 टिप्पणियां:
जयश्री जी,
आज pehlee बार ही आपके ब्लॉग पर aayaa हूँ इतना कह सकता हूँ की आपके आलेख और aapkee shailee ने kaafee prabhaavit किया, राजनितिक विषयों पर लिखना आसान नहीं होता कम से कम मुझे तो ऐसा ही लगता है. अच्छा लगा.
आपका यह आलेख भी हर बार की तरह बेबाक बिंदास और प्रभावी प्रवाही है , ऐसे समय में जब कि सम्पूर्ण कि का भविष्य तय किया जाना है जूता चप्पल से विरोध करना , मंत्री द्वारा तमाचा मार देना यह क्या है ? क्या यह बोखलाहट है , घबराहट है जनता को दिखाए गए मिथ्या स्वप्न का जवाव है , अथवा राम के देश की संस्कृति का पतन है , क्या है आखिर यह मतदान से ज्यादा गंभीर सवाल आज हमारे सामने आ खडा हुया है ......
आपका यह आलेख भी हर बार की तरह बेबाक बिंदास और प्रभावी प्रवाही है , ऐसे समय में जब कि सम्पूर्ण कि का भविष्य तय किया जाना है जूता चप्पल से विरोध करना , मंत्री द्वारा तमाचा मार देना यह क्या है ? क्या यह बोखलाहट है , घबराहट है जनता को दिखाए गए मिथ्या स्वप्न का जवाव है , अथवा राम के देश की संस्कृति का पतन है , क्या है आखिर यह मतदान से ज्यादा गंभीर सवाल आज हमारे सामने आ खडा हुया है ......
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