भारत में राजनेता राई का पहाड बनाने में बडे ही चतुर होते है और शोर मचाने के लिए किसी भी मुद्दे को उछाल देते है। इस जमात को देशाभिमान या राष्ट्र के अपमान के साथ कोई वास्ता नहीं होता और सामान्य स्थितियों में देश की इज्जत का फालूदा बन जाये तो भी इनके पेट में ऐंठन तक नहीं आती लेकिन प्रसिध्धि मिले इसके लिए वे किसी भी मुद्दे को राष्ट्र के मान-अपमान के साथ जोडने में जरा सा भी हिचक महसूस नहीं करते। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम का नई दिल्ली के इन्दिरा गांधी एयरपोर्ट पर एक अमरिका एयरलाइन्स यानि कि विमानी कंपनी द्वारा हुई जांच के मामले संसद में मचा बवाल इसका ताजा सुबूत है। हालांकि कांटिनेंटल एयरलाइन्स ने माफी मांगी है।
बात अप्रैल महिने की है। डॉ. कलाम अमरिका विमान में नेवार्क जा रहे थे और नई दिल्ली के एयरपोर्ट पर अन्य यात्रियों की जिस तरह तलाशी ली जाती है उसी तरह डॉ. कलाम की भी तलाशी ली गई। अन्य यात्रियों की तरह डॉ. कलाम की भी शारीरिक जांच हुई और उनके जूते उतरवाकर जांचा गया, उनका मोबाइल फोन भी जांचा गया। डॉ. कलाम ने किसी भी तरह की आपत्ति या विरोध जताये बिना यह जांच होने दी और बाद में शांति से विमान में बैठकर नेवार्क चले गये। डॉ. कलाम के साथ सिक्युरिटी के लिए जो कमान्डो थे उन्होंने एयरलाइन्स के स्टाफ को समझाने का प्रयास किया कि डॉ. कलाम कौन है और उनकी तलाशी नहीं करनी चाहिए लेकिन कांटिनेंटल के स्टाफ ने रोकडा जवाब दे दिया कि महत्वपूर्ण हो या अतिमहत्वपूर्ण, तलाशी तो करनी ही पडेगी। कमान्डो यह सब कुछ होते देखते रहे, और कर भी क्या सकते थे?
यह मामला यही पर खत्म हो जाना चाहिए था लेकिन कलाम की सिक्युरिटी के साथ जुडे लोगों ने इस मामले रिपोर्ट किया और उसी में से नया झमेला शुरु हुआ। यह पूरा मामला नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास पहुंचा और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने प्रोटोकॉल के भंग के बदले कांटिनेंटल एयरलाइन्स को शो-कोज नोटिस भेजा। हालांकि अमरिकन कंपनी इस नोटिस को तवज्जो न देते हुए इसका जवाब देने तक की जहमत नहीं उठाई। हालांकि इसमें भी कुछ नया नहीं है और बात वहीं दब गई होती लेकिन यह पूरा मामला भाजपा के ध्यान में आया और उसमें से बवाल शुरु हुआ।
भाजपा के अरुण जेटली ने यह मामला राज्यसभा में उठाया और अमरिकन कंपनी ने कलाम का अपमान किया है ऐसा शोर मचा दिया। जेटली के साथ दूसरे भी जुड गये। वामपंथी तो वैसे भी अमरिका के नाम से चिडते है इसलिए यह लोग भी चालू गाडी में बैठ गए और उन्होंने बात को नया मोड दे कह दिया कि, ऐसा तो नहीं कि, कलाम मुस्लिम है इसलिए शायद उनकी खास तलाशी ली गई हो, इसकी भी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा सपा के जनेश्वर मिश्रा ने पूरी बात को रंगभेद का रुप दिया और कह दिया कि गोरी चमडीवाले अमरिकन काली चमडीवाले सभी को शक की निगाह से देखते है और उनके साथ दुर्व्यवहार करते है उसका यह परिणाम है। सभी ने बहती गंगा में हाथ धो लिया इसलिए आखिर में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मंत्री प्रफुल पटेल को स्पष्ट करना पडा कि, अमरिकन कंपनी को जो नोटिस दी गई है उसका उन्होंने जवाब तक नहीं दिया और अब सरकार कांटिनेंटल एयरलाइन्स के सामने फोजदारी केस करने के बारे में सोच रही है क्योंकि उसने भारत के पूर्व राष्ट्रपति का अपमान किया है। प्रफुल पटेल के कहने के मुताबिक भारत में काम करनेवाली हरेक विमानन कंपनी को चोकस मार्गदर्शक रेखा दी जाती है और इस मार्गदर्शिका के मुताबिक उसे भारत के राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा जांच नहीं करनी होती। कांटिनेंटल एयरलाइन्स ने इस नियम का उल्लंघन किया है इसलिए उसके खिलाफ केस किया जायेगा ऐसा आश्वासन प्रफुल पटेल ने दिया है। कांटिनेंटल एयरलाइन्स ने इस बयान के बाद अपनी उसी बात को दोहराया कि हमारे लिए सुरक्षा महत्वपूर्ण है और महत्वपूर्ण हो या अतिमहत्वपूर्ण, हमें जांच तो करनी पडेगी। यानि कि कंपनी ने जो किया उसे उसका जरा भी अफसोस नहीं।
प्रफुल पटेल के दावे के मुताबिक कांटिनेंटल एयरलाइन्स के सामने केस होता है या नहीं यह पता नहीं लेकिन कलाम के अपमान के नाम से जो शोर मचा है यही गलत है। अभी दुनियाभर में आतंकवाद का जाल जिस तरह फैला हुआ है उसे देखते सुरक्षा के मामले में किसी को भी जरा भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और ऐसी स्थिति में कांटिनेंटल एयरलाइन्स या अन्य कोई भी कंपनी सावधानी बरते इसमें गलत ही क्या है? डॉ. कलाम सन्मानीय व्यक्ति है और उनके साथ किसी भी प्रकार की बदतमीजी बर्दाश्त नहीं की जा सकती लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर होती जांच कोई बदतमीजी नहीं है। वास्तव में यह मुद्दा डॉ. कलाम या हम पर अविश्वास का है और हमें तो वास्तव में डॉ. कलाम के साथ ऐसा सलुक हुआ इसकी बात करने के बजाय ऐसा क्यों हुआ इस बारे में सोचना चाहिए। क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले ज्योर्ज फर्नान्डिज संरक्षण मंत्री थे तब उनके साथ अमरिका के एयरपोर्ट पर जांच हुई और प्रणब मुखर्जी विदेश मंत्री थे तब मोस्को के एयरपोर्ट पर उनके साथ भी यह हुआ।
डॉ. कलाम या ज्योर्ज या प्रणब हमारे लिए महत्वपूर्ण है और सन्मानीय है और उन पर किसी भी प्रकार का शक नहीं किया जा सकता यह भी स्वीकार ले तो भी क्या उनके आसपास के लोगों पर शक नहीं किया जा सकता इसकी कोई गेरंटी है? डॉ. कलाम की बात करे तो कोई कलाम के मोबाइल में या जूते में विस्फोटक ना रख दे इसकी कोई गेरंटी है? आज विस्फोटक बहुत ही छोटे चीप में तबदील हो गये है तब कलाम इस बात से अनजान हो और उनके आसपास की कोई व्यक्ति ऐसा कर दे ऐसा भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में कलाम या अन्य कोई भी वीआइपी की जांच हो इसमें कुछ भी गलत नहीं है और अमरिकन एयरलाइन्स इसका आग्रह रखे तो इसमें कलाम का अपमान नहीं बल्कि यात्रियों की सुरक्षा की चिंता है और कलाम ने जिस तरह सहयोग दिया उस तरह हरेक वीआइपी को इसमें सहयोग देना चाहिए। अमरिकन सुरक्षा के मामले में सतर्क है इसलिए तो बचकर जीते है। ओसामा बिन लादेन ने वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर को तहस नहस किया उसके बाद अमरिका पर एक भी आतंकवादी हमला नहीं हुआ है और इसके मूल में उनकी यह सतर्कता है। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है यह बात उन्होंने बहुत ही सहजता से स्वीकार किया है उसका यह परिणाम है। हमारे देश में इस तरह जांच नहीं होती इसलिए यह हमारा प्रश्न है। हमारे देश में जैसा चलता है वैसा दूसरे देश में थोडे ही चलता होगा?
अब बात हम पर अविश्वास की। हम पर उन्हें भरोसा क्यों नहीं? क्योंकि हमारे देश में सुरक्षा के नाम से नाटक ही चलता है। आतंकवादी हमले इसका ही परिणाम है। इसलिए हम जो भुगत रहे है वह अमरिका या दूसरा कोई क्यों भुगते?
भाजपा ने यह मुद्दा उछाला है यही शर्मनाक है। ज्योर्ज फर्नान्डिज भाजपा की सरकार में ही विदेश मंत्री थे और अमरिका के एयरपोर्ट पर उनके तो कपडे उतरवाकर जांच की गई थी। उस समय भाजपा के नेतागण अपनी दूम छुपाकर बिलों में छिपे बैठे थे। क्या उस समय उन्हें उनका अपमान नहीं लगा? क्या सत्ता में हो तब अपमान की परिभाषा बदल जाती है?
जय हिंद
पूज्य माँ
11 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
अच्छा विश्लेषण किया आपने .. हमें इस कोण से भी सोंचना चाहिए !!
you are right Jayshree
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