सोमवार, 20 अक्तूबर 2008

यह अचानक क्या हुआ ?

जमाना तो नहीं बदला लेकिन कांग्रेस जरुर बदल गई है। जी हां ! दिल्ली में गत महिने हुए बम ब्लास्ट के बाद दिल्ली के जामिया नगर में स्थित बाटला हाउस नामक मकान में हुए एन्काउन्टर के मामले शुरु हुई राजनीति में गर्मी आ गई है। अब तक तो समाजवादी पार्टी और उनके जैसे दंभी सांप्रदायिक और वोट बैंक के लिए मुसलमानों के सामने मुजरा करने में जिन्हें जर्रा सी भी शर्म नहीं आती ऐसी जमात ही इस मामले पर हो-हल्ला मचा रही थी लेकिन शनिवार को कांग्रेस भी बडी बेशर्मी के साथ इस राजनीति में शामिल हो गई इसके साथ ही इस मामले में एक जबरदस्त मोड आ गया है।
जामिया नगर के बाटला हाउस में एन्काउन्टर हुआ.... पुलिस ने दो आतंकवादियों को मार गिराया और दो को दबोचा ठीक उसके दूसरे दिन एक टीवी चैनल ने कह दिया कि यह एन्काउन्टर नकली था और पुलिस ने एकदम बेकसूर मुस्लिम युवकों को मार गिराया। इस टीवी चैनल ने ऐसा दावा भी किया था कि इस एन्काउन्टर में शहीद हुए मोहनचंद शर्मा वास्तव में पुलिस की गोली का शिकार हुए है। हमारे यहां टीवी चैनलों के बीच टीआरपी बढाने की जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चलती है इसलिए यह लोग कुछ भी कर बैठते है। इस चैनल ने भी वही किया लेकिन इसकी वजह से समाजवादी पार्टी को अच्छा-खासा मौका मिल गया और इसने इस मामले पर हो-हल्ला मचाना शुरु कर दिया। अमर सिंह इन सबमें सबसे पहली श्रेणी में आते है। क्योंकि वे मुलायम सिंह के खास भरोसेमंद है। अमर सिंह ने अपना नाटक जमाया और उनके पीछे-पीछे वामपंथी भी जुड गये बाद में बंगाल में से टाटा को भगाने के बाद बेकार बैठी ममता भी इसमें जुड गई। बची कसर को अमरसिंह ने शुक्रवार को जामिया नगर में बाटला हाउस में सार्वजनिक सभा का आयोजन कर पूरी कर दी। इस सभा में मुसलमानों की बडी संख्या देख कांग्रेस के होश उड गये। दिल्ली में दो महिने बाद विधानसभा चुनाव होने है बाद में चार-पांच महिने बाद लोकसभा चुनाव भी है ऐसी स्थिति में अगर मुसलमान नाराज हो जाये तो कांग्रेस का राम नाम सत्य हो जाये ऐसा सोचकर कांग्रेस भी इस मामले में आगे आई। और ताबडतोब शनिवार को ही अपने मुस्लिम नेताओं को आगे कर इस एन्काउन्टर के मामले ज्युडिशियल इन्कवायरी की मांग कर डाली। कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मिलकर इस एन्काउन्टर के मामले ज्युडिशियल इन्कवायरी की मांग की है और अभी केन्द्र में कांग्रेस की सरकार है इसे देखते हुए इसमें दो राय नहीं की इस मांग का स्वीकार होगा। कांग्रेस ने अमर सिंह या ममता की तरह यह एन्काउन्टर नकली था ऐसा नहीं कहा है लेकिन ऐसा कहने की जरुरत भी नहीं है। और अगर कांग्रेस ऐसा कह दे कि यह एन्काउन्टर नकली था तो उसके विरोधी बाकायदा कांग्रेस को शिकंजे में लेंगे और कांग्रेस के शासन में मुसलमानों का एन्काउन्टर होता है ऐसा हल्ला मचा देंगे इसलिए कांग्रेस सीधे नहीं कह सकती लेकिन ज्युडिशियल इन्कवायरी की मांग का मतलब साफ है कि इस एन्काउन्टर में कुछ तो गलत है।
कांग्रेस ने खुद सामने से जांच की घोषणा करने के बजाय अपने कांग्रेसी अल्पसंख्यक नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को आगे कर इस एन्काउन्टर के मामले जांच की मांग क्यों की? यह समझने जैसी बात है। इस मामले अमर सिंह मंडली ने हो-हल्ला मचाया उसके बाद कांग्रेस ने शुरु में उनकी बात नहीं सुनी। अमर सिंह का नाटक बढा उसके बाद कांग्रेस ने स्पष्टता की कि इस एन्काउन्टर के मामले किसी भी प्रकार की जांच का सवाल ही नहीं उठता और अब जो होगा अदालत में होगा। इस रवैये को दाद देने जैसा था। चूंकि सामने कांग्रेस में भी अर्जुन सिंह जैसे कुछेक नेता ऐसे थे जो अमर सिंह के सूर में सूर मिला रहे थे लेकिन उस समय कांग्रेस ने उनकी आवाज दबा दी थी। अब दिल्ली में अमर सिंह ने सभा संबोधित की उसके बाद कांग्रेसी डर गये लेकिन पहले कांग्रेस ने कहा था कि ज्युडिशियल इन्कवायरी नहीं होगी तो फिर सामने से जांच की घोषणा नहीं की जा सकती इसलिए उसने अपने कांग्रेसी अल्पसंख्यक विभाग के प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं को आगे कर इस एन्काउन्टर के मामले ज्युडिशियल इन्कवायरी की मांग करा दी।
कांग्रेस की यह मांग आघात जनक है। आघात इस बात का नहीं कि कांग्रेस ने यह मांग क्यों की क्योंकि कांग्रेस से दूसरी कोई उम्मीद भी नहीं की जा सकती। दु:ख तो हमारे यहां वोट बैंक के लिए नेता कितनी हद तक गिर सकते है यह देखकर होता है। अमर सिंह मंडली के लिए मुसलमान माई-बाप है और उनकी राजनीति की दुकान भी उन पर ही चलती है इसलिए यह लोग ऐसे मौके की तलाश में ही रहते है लेकिन कांग्रेस को ऐसा क्यों करना पडा यह समझ में नहीं आ रहा। केन्द्र में कांग्रेस की सरकार है और दिल्ली पुलिस सीधे उनकी हूकुमत में आती है उसे देखते हुए अगर कांग्रेस को लगता है कि इस एन्काउन्टर में कुछ गलत हुआ है तो उसे तुरंत उन जिम्मेदार अधिकारियों को घर रवाना कर देना चाहिए। भला ऐसा करने से उसे कौन रोक सकता है। यह उसकी हूकुमत में आता है लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं करती क्योंकि उसे दोनों हाथों से लड्डू खाना है। एक ओर वह आतंकवाद के सामने लडने में आक्रामक तेवर अपना रही है और इस मामले में किसी को छोडना नहीं चाहती वहीं दूसरी ओर मुसलमानों को नाराज करने को भी तैयार नहीं है। कांग्रेस को डर है कि यह एन्काउन्टर नकली था और पुलिस ने बेकसूर मुसलमानों को मार गिराया ऐसा कह दो-चार पुलिसवालों को घर भगा दे या मोहनचंद शर्मा की शहादत पर दाग लगाये तो हिन्दू भडक उठेंगे और भाजपा को एक अच्छा खासा मुद्दा मिल जायेगा वहीं दूसरी ओर अगर अमरसिंह और ममता को आगे बढने दे तो यह लोग मुस्लिम वोट बैंक हजम कर लेंगे। उसे यह दोनों चाहिए। इसलिए यह बीच का रास्ता चुना गया। एक ओर ज्युडिशियल इन्कवायरी का नाटक चलें और दूसरी ओर चुनाव से भी निपटा जायें। भला कांग्रेसियों को कौन समझाये कि यह नामुमकिन है। इसमें तो कांग्रेस की हालत धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का जैसी हो जायेगी।
कांग्रेस और अमरसिंह या ममता चाहे राजनीति खेलें लेकिन सवाल नैतिकता का है। यह लोग जो कह रहे है उसके समर्थन में उनके पास कोई सुबूत नहीं है। पुलिस ने जो एन्काउन्टर किया वह सुबह के उजाले में किया और उसमें एक पुलिस अधिकारी शहीद हुआ। इस एन्काउन्टर में शक की कोई गुंजाइश नहीं है फिर भी इसे शक के दायरे में खींच कर राजनीति खेली जा रही है। अब इससे ज्यादा मैं क्या कहूं ?
जय हिंद

1 टिप्पणी:

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

आपके विचार और चिंतन बहुत सुलझा हुआ और स्पष्ट है. और लेखन में प्रवाह भी बहुत सुंदर आपका पूरा ही ब्लॉग देखा बहुत अच्छा लगा . आप मुझे pkmanoria@gmail.com पर मेल कर सकती हैं दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाये
प्रदीप मानोरिया