सबसे पहले `सच का सामना' कार्यक्रम के बारे में जानते है। ’सच का सामना’ अमरिका का गेम शो द मोमेन्ट ऑफ ट्रुथ पर आधारित है और इस शो का होस्ट मार्क वेलबर्ग है एवं अमरिका में यह शो फोकस नेटवर्क पर से प्रसारित होता है। हालांकि असल में यह शो अमरिका का नहीं है। इस शो की जडें कोलम्बिया में है और उसके सर्जक लाइटहार्टेड एन्टरटेनमेन्ट के मालिक अमरिकन टीवी निर्माता हावर्ड स्कुल्ज है। सबसे पहले यह शो कोलम्बिया में २००७ में पेश हुआ था और इसमें सबसे बडा इनाम १० करोड कोलम्बियन डॉलर था। अमरिका में यह शो जनवरी २००३ में प्रसारित हुआ था। अमरिका में इस कार्यक्रम की शुरुआत अमरिकन आइडल विजेता से हुई थी और उसे जबरदस्त पब्लिसिटी दी गई थी। इसका पहला शो २.३० करोड लोगों ने देखा था। इसके बाद दूसरे सभी देशों में इस शो की नकल शुरु हुई। अभी विश्व में ४६ देशों में इस कार्यक्रम की नकल होती है और टीवी पर से यह कार्यक्रम प्रसारित होते है। अमरिका में हाल में यह कार्यक्रम प्रसारित नहीं होता लेकिन अगस्त २००९ से उसके नये शो प्रसारित होंगे। अमरिका में इस कार्यक्रम में सबसे बडा इनाम पांच लाख अमरिकन डॉलर है। ’सच का सामना’ में अमरिकन फोर्मेट का ही अनुकरण किया गया है और उसमें भी स्पर्धक को ५० सवाल पूछे जाते है और उसमें से २१ सवाल पूछे जाते है। इन सवालों के जवाब सही है या गलत यह जानने के लिए पोलीग्राफ टेस्ट किया जाता है और पोलीग्राफ कहे कि स्पर्धक ने गलत जवाब दिया है तो स्पर्धक को बाहर निकाल दिया जाता है। ’सच का सामना’ के लिए अमरिकन पोलीग्राफ एक्सपर्ट हर्ब इरविन की मदद ली जाती है।
अब ’सच का सामना’ कार्यक्रम पर जो हंगामा मचा है उसकी बात करते है। हमारे देश में भारतीय संस्कृति के नाम से जो नाटक चलता है ऐसा नाटक दुनिया में कहीं नहीं चलता होगा। हमारे राजनेता, बुध्धिजीवी, समाज सेवक आदि के अपने-अपने चोके है, अलग-अलग जमात है और खुद के अनुकूल न हो ऐसा कुछ भी घटित होता है तब इस जमात में से कोई भी भारतीय संस्कृति का झंडा लेकर खडा हो जाता है और शोर मचाने लगता है। एक तो यह वर्ग बहुत बातूनी है और दूसरा कि इनके तमाशे के कारण इनका शोर समग्र देश तक पहुंच जाता है और बाद में इनकी हां में हां मिलानेवाले और मुंडी हिलाने वाले आ जाते है और शोर बढता ही जाता है। शोर बढे तब सरकार जागती है और नोटिसे जारी करने जैसी सभी कवायदें शुरु हो जाती है। इस खेल में जो सबसे ज्यादा शोर मचा सकता हो वह जीत जाता है और कुछेक समय के बाद भारतीय संस्कृति जहां थी वहीं आकर खडी हो जाती है और शोर मचानेवाले अपने घर जाकर चादर तानकर सो जाते है।
स्टार प्लस चैनल पर गत हप्ते से शुरु हुए ’सच का सामना’ नामक रियालिटी शो के मामले यह हंगामा शुरु हो गया है। गत हप्ते यह शो शुरु हुआ और उसमें पहले हप्ते ही जिस प्रकार के सवाल पूछे गए उसके कारण अचानक ही भारतीय संस्कृति के झंडाधारी जाग उठे और उन्हें चिंता होने लगी कि इस प्रकार के सवाल अगर टीवी कार्यक्रम में पूछे गये तो भारतीय संस्कृति मिट्टी में मिल जायेगी। उन्होंने इस शो के सामने शोर मचाना शुरु किया और संसद में भी इस मामले हंगामा मचा दिया। संसद में हंगामा होने के कारण सरकार को भी लगा कि कुछ करना पडेगा इसलिए वह भी जाग उठी और इस शो को प्रसारित करनेवाली टीवी चैनल स्टार प्लस को नोटिस जारी कर दी। केन्द्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जारी की नोटिस में सवाल पूछा गया है कि, यह कार्यक्रम भद्र व्यवहार और शालीनता का भंग करती है, उसे देख क्यों बंद नहीं किया गया। स्टार प्लस को नोटिस का जवाब देने के लिए २७ जुलाई तक का समय दिया गया था लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘सच का सामना’ की सुनवाई को स्थगित कर दिया है। न्यायाधीश संजीव खन्ना की एकल पीठ ने मामले को मुख्य न्यायाधीश एपी शाह की खंडपीठ को सौंप दिया है। अब इस मामले पर सुनवाई २९ जुलाई को होगी। चैनल क्या खुलासा करती है यह पता नहीं लेकिन अभी तो यह मामला एकदम गरम हो गया है। ’सच का सामना’ नामक यह कार्यक्रम अमरिका के द मोमेन्ट ऑफ ट्रुथ नामक कार्यक्रम की हू-ब-हू नकल है और अमरिका में यह कार्यक्रम प्रसारित हुआ तब भी जोरदार हंगामा मचा था। वहां भी इस कार्यक्रम के कारण बहुतों की गृहस्थी छिन्न-भिन्न हो जायेगी ऐसी दलील होती थी और हमारे यहां भी वही दलीले हो रही है। अमरिका में वास्तव में कितने लोगों की गृहस्थी इस कार्यक्रम के कारण बिखरी यह पता नहीं लेकिन हमें इतना मालूम है कि, हमारे यहां इस शो के पहले स्पर्धक बने विनोद कांबली ने बहुत से जोरदार जवाब दिए उसके बाद भी उनका दाम्पत्य जीवन सही-सलामत है। खैर अब मूल बात पर आते है। यह कार्यक्रम भारतीय संस्कृति के खिलाफ है और उसके कारण यह कार्यक्रम बंद कर देना चाहिए ऐसी जो दलीले हो रही है वह जायज है या नही? बिलकुल भी नहीं। जिस देश में ‘सत्यमेव जयते’ राष्ट्रीय सूत्र हो वहां ऐसी बात हो वह सचमुच तो हमारे दंभ का सुबूत है और हमारे यहां ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम सिर्फ हमारी पसंद को तवज्जो देते है, दूसरे किसी की बात को नहीं स्वीकार पाते। हमारे यहां संस्कृति के नाम से जो नाटक होते है इसका कारण यह है कि हम मनोरंजन और वास्तविकता का भेद ही नहीं समझ पाते। पहली बात यह कि यह एक मनोरंजन का कार्यक्रम है और उसका संस्कृति के साथ कोई लेना-देना ही नहीं है। दूसरी बात यह कि इस कार्यक्रम में जिस प्रकार के सवाल पूछे जाते है वह एकदम निजी है और किसी को असमंजस में लाकर खडा कर दे ऐसे भी है लेकिन यह सवाल किसी से जबरदस्ती नहीं पूछे जाते। कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से अपनी निजी जिंदगी के पन्ने खोलने बैठ जाये तो उसमें दूसरे किसी को आपति उठाने की क्या जरुरत है? इस देश में सभी को इतनी स्वतंत्रता तो है ही। इन सवालों के सही जवाब देने से किसी एक व्यक्ति का घर टूटे या उसका दाम्पत्यजीवन छिन्न-भिन्न हो तो वह उस व्यक्ति का प्रश्न है। ऐसा भी हो सकता है कि स्पर्धक किसी सवाल का सही जवाब दे और पोलीग्राफ उसे गलत ठहराये उसके कारण स्पर्धक के जीवन-साथी के मन में शक हो लेकिन फिर से एक बार कहूंगी कि, यह उन दोनों का प्रश्न है और ऐसा जोखिम उठाना चाहिए या नहीं यह स्पर्धक ही तय कर सकता है। अगर उस व्यक्ति को ऐसा जोखिम उठाने में कोई दिक्कत ना हो और अपने जीवनसाथी पर भरोसा हो या खुद में कितना भरोसा है यह जानना हो तो उसके सामने ओरों को आपत्ति उठाने की कोई जरुरत ही नहीं है और सबसे महत्वपूर्ण बात कि यह कार्यक्रम टीवी चैनल पर प्रसारित होता है और जिस तरह उसमें हिस्सा लेने वाले को अपनी बात करने की आजादी है उसी तरह ही आपके पास भी इस कार्यक्रम को देखना चाहिए या नहीं यह तय करने की स्वतंत्रता है। आपको पसंद ना हो तो टीवी बंद कर दीजिए, दूसरी चैनल देखिए या फिर चादर तान के सो जाइए इसमें संस्कृति को बीच में लाने की क्या जरुरत है। सत्य को स्वीकारना बहुत मुश्किल होता है।
जय हिंद
पूज्य माँ
11 वर्ष पहले
3 टिप्पणियां:
अब मैं आपका नियमित पाठक बन गया हूं.......... इंतजार था आपके नये आलेख का.... सच का सामना कार्यक्रम का इतिहास जानने मिला.... विस्तृत जानकारी के लिए धन्यवाद और आपके विचार से भी सहमत हूं।
जय हिंद
अमेरिकन धारावाहिक की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है।
दीपक भारतदीप
हो सकता है कुछ समय बाद यह सुनने को मिले कि जो कुछ भी कार्य क्रम मे प्रस्तुत किया जाता है उसकी रिहर्सल की जाती है सवालो की भी और जवाबो की भी इसके सम्वाद लिखे जते है और प्रस्तुतकर्ता और प्रतिभागी के परिवार के सदस्य उससे वाकिफ रहते है तभी तो परिवार् के सदस्य हर उत्तर पर ताली बजाते है .
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