गुजरात में दो माह में पांच लाख से भी ज्यादा लोग हो सकते है बेरोज़गार
नोटबंदी का असर गुजरात सरकार की बजट पर पड सकता है। सरकार की करों की आय में बडी कमी आ सकती है। रियल एस्टेट पांच साल पीछे चला गया है। नोटों की कमी से जनता की खरीददारी कम होने से उत्पादन और रोजगारी पर भी भारी असर हुआ है।
सरकार की मुख्य आय जैसे कि स्टेम्प ड्युटी, जमीन महेसूल, मनोरंजन कर, वाहन व्यवहार कर और वेल्यु एडेड टैक्स की आय घटेंगी। वित्त विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक चलन की कमी अगर इसी तरह चलती रही तो मार्च के अंत तक पिछले पांच माह में सरकार की महेसूली आय में 20 प्रतिशत की कमी होने की आशंका है। अगर जनवरी माह के शुरु होते स्थिति में सुधार हो तो भी आय में 10 से 15 प्रतिशत तक का घाटा हो सकता है। बजट पेश करते समय सरकार ने अनुमान लगाया था कि उसकी महेसूली आय 116366 करोड हो सकती है अगर इस अनुमान को देखे तो सरकार को साल के अंत में 15000 करोड तक की आय कम मिल सकती है।
देश में 12 से 18 माह बडी मुश्किल में...
500 और 1000 के नोटबंदी की वजह से देश में दबेपांव मंदी आ रही है। प्राथमिक आंकडों के मुताबिक पांच लाख करोड बैंकों में जमा हो चुके है और अभी 10 लाख करोड बाकी है। ऐसे हालात में अगर पांच लाख करोड़ भी जमा नहीं होंगे तो अर्थतंत्र को भारी नुकसान होने की आशंका है।
अब बात करेंगे बेरोजगारी की लडाई के बारे में...
नोटबंदी के चलते प्राइवेट कंपनीयां और गुजरात के अन्य व्यवसाय में बहुत बडा बदलाव आ रहा है। असंगठीत क्षेत्र से जुडे लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड सकता है। उनकी रोजी-रोटी दो-तीन माह के लिए बंद हो सकती है। गुजरात की बात करें तो कम से कम पांच लाख कामदारों और नौकरी-पेशेवालों पर अल्पसमय की बेकारी का खतरा मंडरा रहा है।
अगर भारतीय रिजर्व बैंक 24 नवम्बर तक अवधि बढायें तो असर जल्दी हो सकता है। सुरत की बात करे तो वहां कोस्ट कटींग शुरु हो चुका है। अहमदाबाद में भी धीरे-धीरे वह आ रहा है। हररोज काम कर वेतन पानेवाले कामदारों को पेमेन्ट नहीं मिल रहा।
जानते हैं कि सर्वे में आम जनता की क्या है राय...
नोट बदलवाने के लिए खडे लाइन में से एक बुजुर्ग ने कहां कि, 500 और 1000 कि नोट पर बैन लगाकर 2000 कि नोट छापने का तय होने पर इतनी मुश्किलों का सामना करना पड रहा है अगर RBI ने 2000 के स्थान पर 200 के नोट छापे होते और 500 के नये नोट छापने पर ध्यान दिया होता तो इस वित्तीय संकट का इतना भयानक चेहरा नहीं देखने को मिलता। सामान्य लोगों के लिए बडे पेमेन्ट ओनलाइन हो सकते है लेकिन छोटी खरीददारी के लिए छोटे नोटों की जरुरत है। आज स्थिति ऐसी है कि 2000 की नोट पाकर लोग सेल्फी तो ले लेते है लेकिन जब बाजार में उसे एक्सचेंज करवाना हो तो दुकानदारों के पास चिल्लर की समस्या खडी हो जाती है। जब 2000 की नोट लेकर सब्जी या राशन लेते है तब दुकानदार के पास 200 या 300 का बिल बनने पर ग्राहक को चुकाने के लिए 1800 या 1700 नहीं है।
खैर, इन सभी बातों के अलावा खास बात तो यह है कि इस नोटबंदी के बाद मोदी की अग्निपरीक्षा होनेवाली है। जिन राज्यों में चुनाव होनेवाले है वहां इस नोटबंदी के कारण क्या असर पडा है इसका सर्वे चल रहा है तब सात राज्यों की 10 विधानसभा और लोकसभा की 4 बैठकों पर हुए उपचुनाव में मोदी की लोकप्रियता का टेस्ट 22 नवम्बर को तय होगा।
नोटबंदी के बाद आसाम, प.बंगाल, म.प्रदेश, तामिलनाडु, त्रिपुरा, अरुणाचलप्रदेश और पोंडिचेरी में चुनाव हुए है। लोगों की सोच को परखने का यह सही समय है, क्योंकि 2017 में उत्तरप्रदेश, पंजाब और गुजरात विधानसभा चुनाव आनेवाले है। नोटबंदी का विरोध कर रही (AAP) आम आदमी पार्टी पंजाब में और बहुजन समाजवादी पार्टी उत्तरप्रदेश में जोरों पर है। मोदी ने इन राज्यों में आर्थिक असर पर गहनता से सर्वे करवाया है। एक बात और कि मोदी सरकार के विपरीत एजन्डे के कारण विपक्ष उनके साथ नहीं है।
अब बात करते है देश में हो रही शादियों के बारे में...
देश में मोदी सरकार के कायदे कानून देखने लायक है। एक ओर राजनैतिक नेता अपनी बेटी की शादी में 500 करोड का धुंआ उडा रहा है वही दूसरी ओर कोमन मेन की बेटी या बेटे की शादी हो तो वह सिर्फ 2.50 लाख जितनी रकम ही बैंक में से निकाल सकता है। सवाल पूछना चाहुंगी कि क्या इस महंगाई के दौर में एक सामान्य परिवार में ढाई लाख रुपये में शादी हो सकती है। ढाई लाख रुपये में तो शादी का मंडप भी नहीं बांधा जा सकता। सरकार की घोषणा के बाद भी जिन घरों में शादियां है उन्हें बैंक उनके एकाउन्ट में से ढाई लाख निकालने की इजाजत नहीं दे सकती, क्योंकि बैंको की तिजोरियों में नया रुपया ही नहीं है।
आखिर में... Make in India OR Back in India.
जय हिंद।
नोटबंदी का असर गुजरात सरकार की बजट पर पड सकता है। सरकार की करों की आय में बडी कमी आ सकती है। रियल एस्टेट पांच साल पीछे चला गया है। नोटों की कमी से जनता की खरीददारी कम होने से उत्पादन और रोजगारी पर भी भारी असर हुआ है।
सरकार की मुख्य आय जैसे कि स्टेम्प ड्युटी, जमीन महेसूल, मनोरंजन कर, वाहन व्यवहार कर और वेल्यु एडेड टैक्स की आय घटेंगी। वित्त विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक चलन की कमी अगर इसी तरह चलती रही तो मार्च के अंत तक पिछले पांच माह में सरकार की महेसूली आय में 20 प्रतिशत की कमी होने की आशंका है। अगर जनवरी माह के शुरु होते स्थिति में सुधार हो तो भी आय में 10 से 15 प्रतिशत तक का घाटा हो सकता है। बजट पेश करते समय सरकार ने अनुमान लगाया था कि उसकी महेसूली आय 116366 करोड हो सकती है अगर इस अनुमान को देखे तो सरकार को साल के अंत में 15000 करोड तक की आय कम मिल सकती है।
देश में 12 से 18 माह बडी मुश्किल में...
500 और 1000 के नोटबंदी की वजह से देश में दबेपांव मंदी आ रही है। प्राथमिक आंकडों के मुताबिक पांच लाख करोड बैंकों में जमा हो चुके है और अभी 10 लाख करोड बाकी है। ऐसे हालात में अगर पांच लाख करोड़ भी जमा नहीं होंगे तो अर्थतंत्र को भारी नुकसान होने की आशंका है।
अब बात करेंगे बेरोजगारी की लडाई के बारे में...
नोटबंदी के चलते प्राइवेट कंपनीयां और गुजरात के अन्य व्यवसाय में बहुत बडा बदलाव आ रहा है। असंगठीत क्षेत्र से जुडे लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड सकता है। उनकी रोजी-रोटी दो-तीन माह के लिए बंद हो सकती है। गुजरात की बात करें तो कम से कम पांच लाख कामदारों और नौकरी-पेशेवालों पर अल्पसमय की बेकारी का खतरा मंडरा रहा है।
अगर भारतीय रिजर्व बैंक 24 नवम्बर तक अवधि बढायें तो असर जल्दी हो सकता है। सुरत की बात करे तो वहां कोस्ट कटींग शुरु हो चुका है। अहमदाबाद में भी धीरे-धीरे वह आ रहा है। हररोज काम कर वेतन पानेवाले कामदारों को पेमेन्ट नहीं मिल रहा।
जानते हैं कि सर्वे में आम जनता की क्या है राय...
नोट बदलवाने के लिए खडे लाइन में से एक बुजुर्ग ने कहां कि, 500 और 1000 कि नोट पर बैन लगाकर 2000 कि नोट छापने का तय होने पर इतनी मुश्किलों का सामना करना पड रहा है अगर RBI ने 2000 के स्थान पर 200 के नोट छापे होते और 500 के नये नोट छापने पर ध्यान दिया होता तो इस वित्तीय संकट का इतना भयानक चेहरा नहीं देखने को मिलता। सामान्य लोगों के लिए बडे पेमेन्ट ओनलाइन हो सकते है लेकिन छोटी खरीददारी के लिए छोटे नोटों की जरुरत है। आज स्थिति ऐसी है कि 2000 की नोट पाकर लोग सेल्फी तो ले लेते है लेकिन जब बाजार में उसे एक्सचेंज करवाना हो तो दुकानदारों के पास चिल्लर की समस्या खडी हो जाती है। जब 2000 की नोट लेकर सब्जी या राशन लेते है तब दुकानदार के पास 200 या 300 का बिल बनने पर ग्राहक को चुकाने के लिए 1800 या 1700 नहीं है।
खैर, इन सभी बातों के अलावा खास बात तो यह है कि इस नोटबंदी के बाद मोदी की अग्निपरीक्षा होनेवाली है। जिन राज्यों में चुनाव होनेवाले है वहां इस नोटबंदी के कारण क्या असर पडा है इसका सर्वे चल रहा है तब सात राज्यों की 10 विधानसभा और लोकसभा की 4 बैठकों पर हुए उपचुनाव में मोदी की लोकप्रियता का टेस्ट 22 नवम्बर को तय होगा।
नोटबंदी के बाद आसाम, प.बंगाल, म.प्रदेश, तामिलनाडु, त्रिपुरा, अरुणाचलप्रदेश और पोंडिचेरी में चुनाव हुए है। लोगों की सोच को परखने का यह सही समय है, क्योंकि 2017 में उत्तरप्रदेश, पंजाब और गुजरात विधानसभा चुनाव आनेवाले है। नोटबंदी का विरोध कर रही (AAP) आम आदमी पार्टी पंजाब में और बहुजन समाजवादी पार्टी उत्तरप्रदेश में जोरों पर है। मोदी ने इन राज्यों में आर्थिक असर पर गहनता से सर्वे करवाया है। एक बात और कि मोदी सरकार के विपरीत एजन्डे के कारण विपक्ष उनके साथ नहीं है।
अब बात करते है देश में हो रही शादियों के बारे में...
देश में मोदी सरकार के कायदे कानून देखने लायक है। एक ओर राजनैतिक नेता अपनी बेटी की शादी में 500 करोड का धुंआ उडा रहा है वही दूसरी ओर कोमन मेन की बेटी या बेटे की शादी हो तो वह सिर्फ 2.50 लाख जितनी रकम ही बैंक में से निकाल सकता है। सवाल पूछना चाहुंगी कि क्या इस महंगाई के दौर में एक सामान्य परिवार में ढाई लाख रुपये में शादी हो सकती है। ढाई लाख रुपये में तो शादी का मंडप भी नहीं बांधा जा सकता। सरकार की घोषणा के बाद भी जिन घरों में शादियां है उन्हें बैंक उनके एकाउन्ट में से ढाई लाख निकालने की इजाजत नहीं दे सकती, क्योंकि बैंको की तिजोरियों में नया रुपया ही नहीं है।
आखिर में... Make in India OR Back in India.
जय हिंद।
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