मंगलवार, 2 जून 2009

नई लोकसभा में महिला स्पीकर !


नई लोकसभा का पहला सत्र आरंभ हो चुका है और यह लोकसभा मीराकुमार को अध्यक्ष पद पर बिठाकर एक नया इतिहास जरूर बनायेगी। जबसे लोकसभा चुनाव नतीजे आये है तब से लोकसभा के अध्यक्ष पद पर कौन बैठेगा इसकी अटकलें चल रही थी। जिस तरह मनमोहन सिंह ने कांग्रेस के अधिकांश दिग्गजों को अपने मंत्रीमंडल में शामिल किया उसके कारण अध्यक्ष पद पर कौन बैठेगा इस मामले जोरदार सस्पेन्स बना हुआ था। कांग्रेस ने एकाद हफ्ते पहले इस सस्पेन्स का अंत करते हुए किशोर मोहन देव स्पीकर पद पर बैठेंगे ऐसा संकेत दे दिया था। हालांकि, इसके बाद अचानक क्या हुआ कि सोनिया गांधी ने देव के नाम पर चोकडी लगा ऐसी घोषणा की कि पंद्रहवी लोकसभा के स्पीकर पद पर किसी महिला को बिठाया जायेगा। किसी ने ऐसी कल्पना भी नहीं की होगी। फिर से अटकलों का बाजार तेज हुआ और अनेक नाम आये। इन नामों में राजस्थान के गिरजा व्यास का नाम आगे था और साथ में मीराकुमार का नाम भी आ रहा था। हालांकि गिरजा का नाम आगे था उसके दो कारण थे। पहला कारण यह कि गिरजा व्यास ने मनमोहन सिंह की पहली टर्म में राष्ट्रीय महिला आयोग की चेरपर्सन के रूप में अच्छी कामगीरी की थी और दूसरा कारण यह कि मीराकुमार कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ले चुकी थी। हालांकि, सोनिया गांधी ने फिर से सभी की धारणा को गलत साबित कर मीराकुमार के नाम पर पसंदगी की मोहर मार सबको अचंभे में डाल दिया।
तो आईये जानते है मीराकुमार के बारे में... 31 मार्च 1945 के दिन बिहार के पटना में पैदा हुई मीराकुमार दिग्गज दलित नेता जगजीवनराम की बेटी है। पिता जगजीवनराम और माता इन्द्राणीदेवी दोनों स्वातंत्र्यसेनानी थे। मीराकुमार की शादी मंजुलकुमार के साथ हुई है और उनकी तीन संतानें है। मंजुलकुमार सुप्रीमकोर्ट के वकील है। अंग्रेजी में मास्टर्स डिग्रीधारी मीराकुमार ने सिविल सर्विस परीक्षा उत्तीर्ण की है और 1973 में वे भारत में संचालन में सबसे उच्च मानी जाती इन्डियन फोरेन सर्विस (आइएफएस) में जुडी थी। मीराकुमार ने आइएफएस ऑफिसर के तौर पर स्पेन, ब्रिटन और मोरेशियस में काम किया था। मीराकुमार राजीव गांधी के आग्रह से 1985 में सरकारी नौकरी छोड राजनीति में जुडी थी और 1985 में ही उ.प्र की बिजनौर बैठक पर से चुनाव लडी थी। उनके सामने मायावती और रामविलास पासवान जैसे दो धुरंधर नेता मैदान में थे और मीराकुमार दोनों को पछाडकर चुनाव जीत गई थी। मीराकुमार उसके बाद दो बार दिल्ली के कारोलबाग बैठक पर से चुनी गई थी लेकिन 1999 में हार गई थी। उसके बाद उन्होंने अपनी बैठक बदलकर 2004 में पिता जगजीवनराम की परंपरागत बैठक ससाराम पर से चुनाव लडी और जीत गई। इसबार बिहार में से कांग्रेस ने मात्र दो बैठके जीती है और उसमें से एक मीराकुमार की है। 2004 में मीराकुमार का समावेश मनमोहनसिंह सरकार में किया गया था। मीराकुमार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण रखने का अभियान चलाया था। मीराकुमार कॉलेज के जमाने में राइफल शूटिंग में चैम्पियन थी और उन्होंने नेशनल लेवल पर ढेर सारे मेडल भी जीते है। उसी तरह मीराकुमार कवियत्री के तौर पर भी जानी मानी है।
अभी जिस तरह की बाते हो रही है उसे देख मीराकुमार तीन जून को लोकसभा के अध्यक्ष पद का शपथ लेगी और उसके साथ ही एक नया इतिहास बनेगा। मीराकुमार इस देश की प्रथम महिला अध्यक्ष के साथ प्रथम दलित अध्यक्ष भी होंगी। जिस देश में 50 प्रतिशत जनसंख्या महिलाओं की हो और बावजूद इसके अभी तक देश के राष्ट्रपति पद पर एक ही महिला बैठी हो और जिस देश में प्रधानमंत्री पद पर सिर्फ एक महिला आई हो उस देश में लोकसभा के स्पीकर पद पर एक महिला बैठे यह घटना सचमुच बहुत एहमियत रखती है।
इस देश में महिलाओं की समानता की बाते सभी करते है लेकिन यह सब सिर्फ कोरी बाते होती है। कोई राजनीतिक दल इसका पालन नहीं करता है। इस देश में कितनी महिलाओं को उच्च पद मिला है इसकी लिस्ट पर नजर डालें तो पता चलेगा कि एक महिला का स्पीकर पद पर बैठना कितनी बडी खबर है।
राष्ट्रपति पद और प्रधानमंत्री पद की बात छोडे तो भी केन्द्र में मंत्री पद पर बैठनेवाली महिलाओं की संख्या इन 60 सालों में सिर्फ 100 का आंकडा पार कर सकी है और इन 60 सालों में देश के राज्यों में मुख्यमंत्री पद पर बैठनेवाली महिलाओं की संख्या गिनकर 12 है। इन किस्मतवाली महिलाओं में भी अधिकांश तो ऐसी है जिन्हें उनके खानदान के कारण यह पद मिला हो। बाकी अपने दम पर जगह बनानेवाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है। ऐसी स्थिति में मीराकुमार स्पीकर पद पर बैठे यह घटना इस देश के लिए इतिहास सर्जक ही है। मीराकुमार दलित है। इस देश में महिलाओं की जो हालत है वही हालत दलितों की है। आज जब दलित वोटबैंक मजबूत बन गई है इसलिए सभी दलों को उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल करना पडता ही है लेकिन उन्हें भी बडे पद देने के बारे में कोई नहीं सोचता। कांग्रेस ने यह पहल कर बहुत अच्छा काम किया है।
मीराकुमार उनके पिता और भाई से विरोधी साफ इमेज रखती है। वह खुद आइएफएस ऑफिसर थी और इस तरह उनकी काबिलियत के बारे में कोई सवाल ही खडा नहीं होता।
जय हिंद

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