पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव की 89वीं जयंती के मौके पर पीआरपी सुप्रीमो चिरंजीवी ने यह मांग कर डाली कि आंध्र के महान सपूत नरसिंह राव को भारत रत्न दिया जाना चाहिए। तो आइए जानते है कि दिवंगत नरसिंह राव किस तरह भारत रत्न के हकदार है।
मनमोहन सिंह इस देश के 14 वें प्रधानमंत्री है और उनसे पहले जो 13 प्रधानमंत्री आए उनमें से अधिकांश लोग ऐसे थे जिनका इस देश के विकास या देश को नई दिशा देने में ज्यादा योगदान नहीं है। वे लोग अपनी किस्मत के बलबूते और हमारी बदकिस्मती से इस देश की गद्दी पर बैठे और शासन कर बिदा हुए। आज हमें उनकी सूची खोलकर नहीं बैठना है लेकिन सकारात्मक बात करनी है, इस देश को एक नई दिशा देने में जिनका योगदान बहुत बडा है ऐसे लोगों की बात करनी है। हमारा देश आज जिस मुकाम पर है उसे वहां तक पहुंचाने में तीन प्रधानमंत्रियों का हाथ है। पहले जवाहर लाल नेहरु, दूसरे राजीव गांधी और तीसरे नरसिंह राव।
जो लोग नेहरु-गांधी खानदान को गालियां देते रहते है उन लोगों को शायद यह बात पसंद नहीं आयेगी लेकिन पसंद-नापसंद से हकीकत नहीं बदल जाती। नेहरु ने इस देश में बहुत गडबड की लेकिन उसके साथ इस देश को स्थिरता देने में और एक दिशा देने में उनका योगदान बहुत बडा था। देश के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने कुछेक गलत नीतियां अपनाई लेकिन कृषि से लेकर बडे बांध बांधने तक के मामले उन्होंने जो अवलोकन बताया उसके लिए उन्हें सलामी देनी पडेगी। आधुनिक भारत की नींव नेहरु ने ही डाली थी। राजीव गांधी का योगदान नेहरु जितना ही बडा है। राजीव गांधी के आगमन से पहले यह देश अक्षरश: 18वीं सदी में जीता था। जरा सोचे, उस जमाने में अमरिका फोन लगाना हो तो भी कम से कम 24 घंटे तो लगते थे। राजीव ने इस देश में टेलिकॉम क्रांति कर इस देश को अत्याधुनिक बनाया। आज इस देश में भिखारी भी मोबाइल फोन पर बात करते है और इन्टरनेट तो सहज है ही जो राजीव गांधी की मेहरबानी है। राजीव गांधी ने इस देश में से लाइसन्स-राज हटाने की भी शुरुआत करवाई।
नरसिंह राव का योगदान राजीव और नेहरु जितना ही है। हम आज जो आर्थिक समृद्धि भोग रहे है और दुनियाभर के आर्थिक समृद्ध देशों के निकट है यह नरसिंह राव की मेहरबानी से है। नरसिंह राव को प्रधानमंत्री पद किस्मत के दम पर ही मिला। नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तब यह देश अक्षरश: आर्थिक गिरावट के करीब था। नरसिंह राव से पहले चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे और पूरी जिंदगी समाजवाद का बिन बजाने वाले चंद्रशेखर ने इस देश के सोने को बेचने निकाला था। नरसिंह राव आये तब सरकारी खजाना खाली था। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना चाहिए। नरसिंह राव ने बहुत सोचा और उसके बाद एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। उन्होंने मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाया और इस देश के अर्थतंत्र को उदारीकरण के रास्ते ले गये और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए दरवाजे खोले। मनमोहन सिंह को राजनीति से कोई संबंध नहीं था और इस देश में कोई गैरराजनीतिज्ञ वित्तमंत्री पद जैसे महत्व के पद पर बैठे तो आसमान टूट जाए ऐसी स्थिति थी। नरसिंह राव के इस निर्णय के सामने कांग्रेस में ही बहुत हंगामा हुआ था। पुराने कांग्रेसियों ने ऐसी कांय-कांय शुरु की कि कांग्रेस ने इस देश में जिसकी नींव डाली उस समाजवाद को नरसिंह राव ने तहस-नहस किया। लेकिन नरसिंह राव इन सब विरोधों के बावजूद आर्थिक उदारीकरण के मामले आगे बढे। नरसिंह राव ने उसके बाद पांच साल में जो कुछ किया वह इतिहास है। नरसिंह राव ने शेयर बाजार पर नियंत्रण दूर किए, लाइसन्स-राज हटाया और विदेशी निवेश के लिए देश के दरवाजे खोल दिए। नरसिंह राव के कारण ही 1991-92 में भारत में मुश्किल से 13 करोड डोलर का विदेशी निवेश आया जो पांच साल बाद बढकर साढे पांच अरब डोलर हो गया था। नरसिंह राव ने इस देश के आर्थिक तसवीर को बदलने में जो योगदान दिया है उसके आगे मेरा यह आलेख बहुत ही छोटा है।
राव के एक ओर योगदान की बात करे तो भले ही भाजपा 1998 में पोखरन में किए परमाणु परीक्षण का श्रेय ले जाए और खुद ने इस देश को परमाणु ताकतवाला बनाया ऐसा दावा करे लेकिन हकीकत यह है कि उस परमाणु परीक्षण का श्रेय राव को जाता है। यह कोई मजाक या गप्प नहीं है, हकीकत है। भाजपा सरकार के प्रधानमंत्री रह चुके अटल बिहारी वाजपेयी ने कूबुल किया है। नरसिंह राव की मृत्यु हुई तब वाजपेयी ने उन्हें श्रध्धाजंलि देते हुए कहा था कि वे 1996 में प्रधानमंत्री बने तब नरसिंह राव ने उन्हें एक चिट्ठी दी थी और उसमें लिखा था कि, बम तैयार है, कभी भी फोड देना। राव ने वाजपेयी को यह बात सार्वजनिक नहीं करने के लिए बिनती की थी। वाजपेयी उस समय सत्ता में 13 दिन ही टिक पाये थे इसलिए बम नहीं फोड सके लेकिन दूसरी बार सत्ता मिली तभी उन्होंने यह काम किया और श्रेय लिया। वाजपेयी ने नरसिंह राव की बिनती के कारण यह बात सार्वजनिक नहीं होने दी लेकिन उनके अवसान के बाद यह रहस्य खोला। नरसिंह राव के योगदान को भारत में बहुत सामान्य तरीके से लिया गया है और उनके काल में जो कौभांड हुए उसे ज्यादा महत्व दिया गया है। JMM कौभांड या अन्य कौभांड सचमुच गंभीर थे लेकिन राव का दूसरा योगदान उन कौभांडों से ज्यादा बडा है यह मानना पडेगा।
हमारे देश में अवार्डस देने के लिए कोई नीति-नियम नहीं है और यह बात भारत रत्न जैसे सर्वोच्च माने जाते अवार्ड को भी लागू होता है। जिन्हें भारत रत्न मिला है ऐसे लोगों की सूची देखे तो पता चलेगा कि यहां पर सब पोलमपोल है । इस सूची में अधिकांश ऐसे नमूने आ गए है जिनकी औकात कुछ नहीं लेकिन राजनीति के दम पर वे लोग भारत रत्न बनकर बैठे है। भारत रत्न का अपमान हो ऐसे लोगों को यह अवार्ड मिला है। ऐसे लोगों की चर्चा कर भारत रत्न अवार्ड को अपमानित नहीं करना चाहती हूं लेकिन उनकी तुलना में नरसिंह राव 100 प्रतिशत ज्यादा योग्य है।
जय हिंद
पूज्य माँ
11 वर्ष पहले
4 टिप्पणियां:
आपको नही लगता कि आपने बिना पड़ताल किए एक तरफा लेखन किया है, आपको पता है, या नही लेकिन स्विस बैंक में भारतीय नेताओं द्वारा काले धन की शुरूआत नरसिंह राव द्वारा ही कि गयी थी। ना जाने कितना रूपया उनका स्विस बैंक में सड़ रहा है, आर्थिक उदारीकरण जिन शर्तो पर आया उनमें टेबल के नीचे वाली रकम का बहुत बड़ा योगदान था, जिसके प्रणेता नरसिंह राव जी ही रहे। नेताओं को भष्ट्राचार के नये नियम उन्ही ने सिखाये। उन्होने बताया राजनिती रूप्या बनाने की चीज भी होती हैं। उनके शासनकाल (नेतृत्व) में ही लालकृष्ण आडवानी ने राममदिंर रथ यात्रा जैसा काला इतिहास बनाया जिसमें असंख्य लोगों की जान गयी। ऐसे आदमी का नामांकन भी भारत रत्न का अपमान होगा।
ऐसे आदमी का नामांकन भी भारत रत्न का अपमान होगा।
पूर्णतया सहमत
नरसिंहराव के लिये भारत रत्न भी छौटा है.
इन्ही के काल में राजीवी और इंदिरा की पाली पोसी पंजाब का आतंकवाद की समस्या दूर हुई और काश्मीर समस्या भी हल होने की कगार पर थी.
बहुत सुन्दर सुझाव है आपका
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