शुक्रवार, 8 मई 2009

माया विरोधी दल का समर्थन करेगी सपा

देश की राजनीति तमाम हदें पार कर चुकी है और सत्ता लालसु राजनेता सत्ता हथियाने के लिए किस हद तक गिर सकते है इसका तमाशा हमें हररोज देखने को मिलता है और हम लाचारी के साथ उसे देखने के अलावा ओर कुछ कर भी नहीं सकते। हम सभी इन तमाशों को चुपचाप देखने के आदि हो चुके है लेकिन कभी-कभार हमारे राजनेता इस हद तक गिर जाते है कि उससे हमारे मन को गंभीर ठेस पहुंचती है। बृहस्पतिवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने जो बयान दिया वह ऐसी ही एक घटना है। लोकसभा चुनाव के चार चरण के मतदान समाप्त हुए है और इन चार चरणों के अंत में जो चित्र उभरकर सामने आया है उस पर से यह साफ हो गया है कि, किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमती नहीं मिलेगी और केन्द्र में फिर से खिचडी सरकार ही बनेगी। इसके कारण जिनकी कोई औकात नहीं है ऐसे छोटे-छोटे दलों के भाव आसमान पर है और कांग्रेस-भाजपा जैसी बडी पार्टियों को अपनी गरज के कारण गधों को भी बाप बनाना पड रहा है। और इसी वजह से ऐसे दलों को मनाने की कवायद शुरु हो गई है। छोटे-छोटे दलों के इतने भाव हो तब यह कहने की जरुरत नहीं कि, जो पार्टियां 25-30 सीटें ले जाएगी उनके पांवों में लोटना ही बाकी है। उत्तर प्रदेश में 16 मई को मतपेटी में से क्या बाहर आयेगा यह पता नहीं लेकिन अभी ऐसा लग रहा है कि समाजवादी पार्टी निश्चितरुप से इस केटेगरी में आ जायेगी और 25-30 सीटें ले जायेगी। यह सामान्य धारणा है और मुलायम सिंह तो उत्तर प्रदेश में 50 सीटें अपनी जेब में डालने के सपने देख रहे है और उसका असर अभी से दिखने लगा है। इसी सपने के बलबूते मुलायम ने यह घोषित किया है कि उनकी पार्टी किसी भी ऐसे गठबंधन को खुलेआम समर्थन देगी जो उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार को बर्खास्त कर देने की गारंटी दे। मुलायम ने स्पष्टता नहीं की है लेकिन उनकी बात का मतलब यह होता है कि अगर भाजपा भी मायावती सरकार को बर्खास्त करने की गारंटी देगी तो उन्हें भाजपा को समर्थन देने में भी कोई ऐतराज नहीं है। हालांकि यह पूरा अलग चर्चा का विषय है लेकिन मुलायम सिंह ने मायावती सरकार को क्यों बर्खास्त करना चाहिए इसके लिए जो कारण दिये है वो भी सुनने जैसे है। मुलायम सिंह के मुताबिक उत्तर प्रदेश की तमाम जनता मायावती सरकार से त्रस्त है और उसे बर्खास्त करना जरुरी है।
मुलायम सिंह के इस शर्त को कौन सी पार्टी स्वीकार करेगी और मुलायम सिंह उस आधार पर किस पाले में बैठेंगे उसका पता तो 16 मई को ही चलेगा।
मायावती की बसपा ने दो साल पहले उत्तर प्रदेश में आयोजित विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमती हासिल की और उसे देख मुलायम सिंह यादव सहित सभी बौखला गये थे और ऐसा लगता है कि, उनकी बौखलाहट अभी तक शांत नहीं हो पाई है। मायावती सरकार लोकशाही पध्धति से संपूर्ण बहुमती से चुनी गई सरकार है और हमें पसंद हो या ना हो लेकिन जनता ने उसे चुनकर उत्तर प्रदेश की गद्दी पर बिठाया है और पांच साल तक उत्तर प्रदेश में राज करने की इजाजत दी है जो एक हकीकत है। मुलामय सिंह जनता के इस निर्णय को स्वीकार करने को तैयार ही नहीं है और उनका बस चले तो वे मायावती सरकार को अभी के अभी बर्खास्त कर दे लेकिन उनके दुर्भाग्य से और इस देश के सौभाग्य से ऐसा हो नहीं सकता इसलिए वे सीधे ब्लेक मेइलिंग पर ही उतर आये है। मायावती अच्छी मुख्यमंत्री है या नहीं यह अलग चर्चा का मुद्दा है और उनकी भी तारीफ करने जैसी नहीं है लेकिन यह सवाल मायावती अच्छी है या नहीं उसका नहीं, मुलायम सिंह जिस कमीनेपन का प्रदर्शन कर रहे है उसका है।
इस तरह के खुलेआम ब्लेकमेइलिंग के लिए कमीनेपन जैसा शब्द भी छोटा है। मुलायम सिंह के इस बयान से ही साफ है कि वे मायावती सरकार को उखाड फेंक उत्तर प्रदेश की गद्दी पर बैठने के लिए उतावले हो रहे है और सत्ता का विरह उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा।
मुलायम सिंह मायावती सरकार को क्यों उखाड फेंकना चाहते है यह भी समझने जैसी बात है। मायावती और मुलायम सिंह के बीच जो बैर है वह बहुत ही पुराना है। एक जमाने में मायावती और मुलायम सिंह साथ-साथ ही थे। 1992 में बाबरी मस्जिद ढही उसके बाद कल्याण सिंह की भाजपा सरकार गिर गई और 1993 में फिर विधानसभा के चुनाव आए तब भाजपा वापिस सत्ता पर ना आये इसलिए मायावती और मुलायम सिंह ने हाथ मिलाया और समझौता कर चुनाव लडे। हालांकि उस बार भाजपा जोश में थी और मायावती-मुलायम एक होने के बाद भी सत्ता हासिल करने में सफल नहीं हुए। कांग्रेस और जनता दल उस समय उनकी मदद के लिए आये और उनकी मदद से मुलायम सिंह गद्दी पर बैठे। हालाकि मायावती की सत्ता लालसा उस समय ही प्रदर्शित होने लगी थी और उसका फायदा उठाकर भाजपा ने मुलायम को घर भेज मायावती को गद्दी पर बिठा दिया था। मुलायम में दिल से उस बात का डंक अभी गया नहीं है और उन्होंने इस गुस्ताखी के लिए मेडम मायावती को माफ नहीं किया है। उसके बाद मायावती ने कई बार मुलायम से हाथ मिलाने की कोशिश की लेकिन मुलायम इस बात में स्पष्ट है कि काला चोर चलेगा लेकिन मायावती हरगिज नहीं। अब मायावती भी यही बात करती है। मुलायम के दिल में यह डंक तो है ही लेकिन एक ओर वजह है मायावती की बढती ताकत। जिस तरह वामपंथियों से लेकर चंद्राबाबू नायडू तक के सभी मायावती के पैरों में लोटते है और मायावती की आरती उतारकर वह प्रधानमंत्री पद पर बैठने के लायक है ऐसे गुनगान करते है उसे देख मुलायम के पेट में दर्द हो यह स्वाभाविक है। मुलायम का डर गलत भी नहीं है। मायावती अभी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री है और अगर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ गई तो.... यह कल्पना उन्हें भयभीत कर रही है। मुलायम सिंह की शर्त कांग्रेस-भाजपा या दूसरा कोई भी दल ना स्वीकारे ऐसी प्रार्थना करने के अलावा हम कुछ नहीं कर सकते।

जय हिंद

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