बुधवार, 20 मई 2009

माया-मुलायम के बदलते रंग

अभी केन्द्र में कांग्रेस को समर्थन देने के लिए जिस तरह अफरा-तफरी मची है उसे देख कुछ पंक्तियां याद आ रही है कि, चढता सूरज देख सभी लगे नमन की होड, ढलते सूरज से सभी लेते नाता तोड.... लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह हल्ला बोला उसके कारण अधिकांश राजनीतिक पार्टियों के नेतागण बौखला गये थे। कांग्रेस इस तरह सबका काम तमाम कर अकेले सरकार बनाने के इतने करीब पहुंच जाएगी ऐसी किसी को भी कल्पना नहीं थी। कांग्रेस में सोनिया गांधी और मनमोहनसिंह को पायलागु करने के लिए भीड जमी है। अभी पंद्रह दिन पहले ही जिन-जिन नेताओं ने कांग्रेस को बुरा-भला कहा वे सभी कांग्रेस को समर्थन देने के लिए पत्र लेकर दौडते नजर आ रहे है। जो कांग्रेस को औंधे मुंह गिराने के कसमें खाते थे वे सभी अब बिना शर्त के समर्थन देने को आगे आए है। गिरगिट की तरह रंग बदलते राजनीतिज्ञों ने मौसम देख अपना रंग बदल लिया है।
ऐसे मौसम के चलते समर्थन देने की भीड में कांग्रेस को मिटा देने की कसमें खानेवाली मायावती से लेकर मुलायम सिंह, तीसरा मोरचा खोलने वाले देवगौडा से लेकर अजितसिंह जैसे मौकापरस्त भी शामिल है। ऐसे में मौसम देख रंग बदलने वालों में लालू और पासवान की जमात भला पीछे कहा रहती।
कांग्रेस की सरकार बनेगी यह निश्चित है लेकिन सरकार बनाने में उसे थोडे से समर्थन की जरुरत है यह भी एक हकीकत है। ऐसी जमात में से कुछेक को लिए बिना चलेगा भी नहीं। लेकिन कांग्रेस इस मामले थोडी सावधानी बरते यह बेहद जरुरी है। देवगौडा या अजित सिंह छोटे खिलाडी है और उनकी औकात ज्यादा नहीं है और लालूप्रसाद यादव तो पांच साल कांग्रेस के साथ रहे और कांग्रेस की सरकार उनका समर्थन ले तो उसमें ज्यादा दिक्कत नहीं है और कांग्रेस के लिए नुकसान भी नहीं है लेकिन मायावती और मुलायमसिंह के मामले कांग्रेस को बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कांग्रेस इनसे दूरी बनाये रखे यह कांग्रेस और देश दोनों की भलाई में है। मायावती और मुलायम सिंह अभी कांग्रेस को समर्थन देने के लिए जो भागदौड कर रहे है उसके मूल में कांग्रेस का जबरदस्त परफोर्मन्स तो है ही लेकिन उसके साथ-साथ एक प्रकार का डर भी है। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में ८० में से २१ बैठकें जीती है जबकि मायावती और मुलायम का उससे दो-पांच बैठके ज्यादा है। १६ मई को जब परिणाम घोषित हुए तब तक कांग्रेस को भी इतने अच्छे परफोर्मन्स का अंदाजा नहीं था। राहुल गांधी ने पिछले तीन साल से उत्तर प्रदेश में डेरा डाल रखा लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस ने पिछले २००७ के विधानसभा चुनाव में कुछ नहीं पाया और मायावती स्पष्ट बहुमती हासिल कर गद्दी पर बैठ गई। उसके कारण कांग्रेसियों को भी ज्यादा उम्मीद नहीं थी। मायावती अपने रुआब-रुतबे में घूमती है इसलिए ऐसे परफोर्मन्स के बाद चने के पेड पर थी। राहुल गांधी अपने चुनाव प्रचार के भाग रुप गरीबो से मिलते, उनके यहां खाना खाते या उनके यहां रुकते और मायावती उसका मजाक उडाती और कहती कि इस तरह झौपडे में रहने से सत्ता नहीं मिलती। राहुल गांधी इन सभी बातों को एक कान से सुनते और दूसरे कान से निकाल देते और आज परिणाम सबके सामने है।
राहुल गांधी ने अपना इरादा घोषित कर ही दिया है कि इसके बाद के चुनाव में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाना चाहती है और इस घोषणा ने मायावती-मुलायम सिंह की नींद उडा दी है। अगर राहुल गांधी तीन साल में कांग्रेस को फिर से खडा कर दे और उनके मुकाबले पहुंचे तो उनके लिए उत्तर प्रदेश में फिर से सत्ता हासिल करना मुश्किल नहीं यह अहसास मायावती और मुलायम दोनों को हो गया है। इसलिए यह दोनों कांग्रेस से दोस्ती करने के लिए बैचेन है।
हालांकि कांग्रेस को उनकी दोस्ती नकार देनी चाहिए क्योंकि उसे इन दोनों में से किसी की जरुरत नहीं है। अगर कांग्रेस इन दोनों में से किसी एक को साथ लेगी तो यह उसकी सबसे बडी गलती होगी और उत्तर प्रदेश में फिर से सत्ता पर काबिज होने की उसकी इच्छा पर पानी फिर जायेगा। इस बार लोगों ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को इसलिए पसंद किया कि वह अपनी ताकत पर लडती थी लेकिन अब अगर मायावती-मुलायम सिंह को साथ रखेगी तो लोग कांग्रेस को मत क्यों दे ? मायावती जिस थाली में खाये उसी में छेद करने से बाज नहीं आती और इसका कडवा अनुभव भाजपा को हुआ है। भाजपा उत्तर प्रदेश से मिट गया उसके मूल में मायावती को आगे बढाने की गलती थी। भाजपा के नेताओं को तो उस गलती का अहसास कभी नहीं हुआ और वे तो बार-बार मायावती की पालखी उठा कर घूमते रहे लेकिन कांग्रेस को ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए। मायावती और मुलायम सिंह इस देश के लिए खतरा है यह कहने की जरुरत नहीं। दोनों की राजनीति संकुचित है और यह दोनों सत्ता लालसा के लिए इस देश के लोगों को जाति के आधार पर विभाजित कर रहे है। कांग्रेस पर जनता ने भरोसा किया है माया या मुलायम पर नहीं। कांग्रेस ने जिस तरह क्षेत्रीय दलों को उनकी औकात दिखा दी है उसी तरह माया और मुलायम को भी दूर रखे यह इस देश पर एक ओर अहसान होगा।
जय हिंद

1 टिप्पणी:

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

बहुत बढिया राजनिति विषलेशण = धन्यवाद जी