बुधवार, 27 मई 2009

द्रमुक के सामने कांग्रेस का आत्मसमर्पण और ममता की धमाकेदार शुरुआत

मनमोहन सिंह सरकार का शपथ ग्रहण पूरा हो गया लेकिन यूपीए के समर्थक दलों की खींचातान अभी खत्म नहीं हुई है। कैबिनेट विभागों में पदों और मंत्रालयों के बंटवारे का मामला अभी भी अनसुलझा ही है। मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री पद का शपथ ग्रहण किया उस समय ऐसा कहा जाता था कि उनके साथ ८० मंत्रियों का जबरदस्त मंत्रिमंडल शपथ लेगा लेकिन द्रमुक की गीदडभभकी के कारण मनमोहन सिंह को ८० के बजाय १९ मंत्रियों के साथ शपथ लेकर अपनी ताजपोशी पूरी करनी पडी। उस समय ऐसी घोषणा हुई थी कि देश की कीमत पर अपने स्वार्थ की खेती करनेवाले द्रमुक सुप्रीमो करुणानिधि गीदडभभकी दिखा रहे है इसलिए छोटा मंत्रिमंडल रखना पडा है लेकिन करुणानिधि को दो-चार दिनों में मना लिया जाएगा और दूसरे ६० मंत्रियों को शपथ दिलवाकर आंकडा ८० पर पहुंचा दिया जाएगा। कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने खुद इसमें दिलचस्पी ली इसलिए करुणानिधि तो सीधे हो गए और कैबिनेट में अपनी पार्टी के ९ सदस्यों को शामिल करने की जिद्द छोड सात मंत्री पद में मान गए लेकिन ऐसा कहा जाता है कि अब मेडम ममता ने करुणानिधि की राह पकडी है और उसके कारण मंगलवार को जो विस्तार होनेवाला था उसमें रुकावट आ गई है। अब ममता को मनाकर बृहस्पतिवार को इसका विस्तार किया जाएगा।
ममता ने एक हफ्ते में दूसरी बार आपत्ति जताई है इससे पहले शुक्रवार को उन्होंने शपथ ग्रहण किया लेकिन उनकी पार्टी के दूसरे लोगों का शपथ ग्रहण नहीं हुआ इसलिए वह बौखला गई और अपने दूसरे साथियों के साथ ही अपना प्रभार संभालेगी ऐसा कह कोलकाता चली गई थी। कांग्रेस के नेताओं ने इस मामले ममता को जैसे-तैसे मनाया वहीं ममता को कैबिनेट में उनको दिए जानेवाले विभागों के मामले आपत्ति हुई है। कांग्रेस ने करुणानिधि को मनाने के लिए उन्हें सात विभाग देने की तैयारी दिखाई है इसलिए ममता बौखलाई है। यूपीए में ममता की पार्टी कांग्रेस के बाद लोकसभा में सबसे ज्यादा सदस्य वाली है और उस हिसाब से कांग्रेस के बाद ममता को सबसे ज्यादा मंत्री पद मिलने चाहिए। करुणानिधि के द्रमुक के लोकसभा में १८ सदस्य है और इसके बावजूद वे कांग्रेस को ब्लेकमेइलिंग कर तीन कैबिनेट मंत्री पद और चार राज्य मंत्री पद हडपने के फिराक में हो तो भला ममता क्यों पीछे रहे? लोकसभा में द्रमुक से ममता की पार्टी में एक सदस्य ज्यादा है उस हिसाब से उन्हें ज्यादा विभाग मांगने का अधिकार है।
शायद ममता को अब ऐसा लगने लगा है कि कांग्रेस ने एक कैबिनेट और पांच राज्य मंत्रीपद देकर उन्हें फुसलाया है। द्रमुक के सुप्रीमो करुणानिधि अपने बेटे-बेटियों से लेकर भतीजे तक के रिश्तेदारों के लिए कैबिनेट मंत्रीपद मांग सकते है और इस बहाने कांग्रेस को ब्लेकमेइलिंग कर सकते है तो ममता भी ऐसा करे इसमें गलत क्या है। ममता को भी अपनी पार्टी चलानी है।
अब देखना यह है कि कांग्रेस ममता को किस तरह मनाती है। लोकसभा के चुनाव परिणाम घोषित हुए और जिस तरह जनादेश मिला और कांग्रेस ने जो तेवर दिखाए तब ऐसी उम्मीद जगी थी कि कांग्रेस उसे ब्लेकमेइल करनेवाली और इस देश को नुकसान पहुंचानेवाली क्षेत्रीय पार्टियों को कमजोर बना देगी और उन्हें ठिकाने लगा देगी। लेकिन एक हफ्ते में कांग्रेस का बल ढीला हो गया है और लगता है कि उसने क्षेत्रीय पार्टियों को फुसलाने का काम फिर से शुरु कर दिया है।
यह समझा जा सकता है कि कांग्रेस को कुछेक समाधान करने पडेंगे। इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में मदद करनेवाली पार्टियों को सत्ता में योग्य हिस्सेदारी मिलनी चाहिए लेकिन कांग्रेस ने द्रमुक के मामले जो रवैया अपनाया वह समाधान नहीं बल्कि आत्मसमर्पण है। करुणानिधि राजनीतिक ब्लेकमेइलिंग में उत्साद है और कांग्रेस को इसका कडवा अनुभव अच्छी तरह हो चुका है उसे देखने के बाद कांग्रेस को सावधान होने की जरुरत थी। करुणानिधि ने खुद को ९ विभाग नहीं मिलेंगे तो वे सरकार में नहीं जुडेंगे ऐसी बात की तभी कांग्रेस को कह देना चाहिए था कि आपकी कोई जरुरत नहीं है। द्रमुक के साथ कांग्रेस ने चुनाव पूर्व समझौता किया था इसलिए उसे सत्ता में हिस्सेदारी देना कांग्रेस का फर्ज था लेकिन इस तरह ब्लेकमेइलिंग के बाद हरगिज नहीं। करुणानिधि को मनाया उसमें अब ममता ने भी वही रास्ता अपनाया है और अब कांग्रेस को उन्हें मनाने में चार दिन बिगाडने पडेंगे तब तक कोई दूसरा खडा हो जायेगा।
करुणानिधि का बेटा अझागिरि, उनकी तीसरी शादी से हुई बेटी कनीमोझी और भतीजा मुरासोली मारन का बेटा दयानिधि मारन यूं तीन-तीन रिश्तेदारों को करुणानिधि ने कैबिनेट में घुसाने का तख्ता बनाया है। करुणानिधि के रिश्तेदार होने के अलावा इन तीनों की और कोई योग्यता नहीं है। करुणानिधि बडी बेशर्मी के साथ अपने पूरे खानदान को मंत्रीपद दिलाने के लिए नाटक कर रहे है। कांग्रेस करुणानिधि की ब्लेकमेइलिंग हमेशा के लिए बंद हो जाये ऐसा करने का मौका गंवा चुकी है और इसकी कीमत कांग्रेस के साथ-साथ पूरे देश को चुकाना पडेगा। खैर, ममता ने रेल मंत्रालय का प्रभार संभाल लिया यह कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है। ममता बनर्जी ने रेल मंत्रालय का प्रभार संभालते ही गरीबों के लिए सिर्फ २० रु. में मासिक पास की घोषणा की। इस घोषणा का लाभ गरीबों तक पहुंचता है या नहीं यह पता नहीं लेकिन इसमें दो राय नहीं कि ममता की यह शुरुआत धमाकेदार है।
जय हिंद

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

जयश्री जी नमस्कार ,

कम से कम मैं आपके इस विचार से सहमत नहीं हूँ...
द्रुमुक के सामने यह कांग्रेस के आत्मसमर्पण नहीं हैं लेकिन जिस प्रकार द्रुमुक ने अपने लालचिपन को दिखाया हैं (यह जानते हुए की कांग्रेस की स्थिति इस बार काफी मजबूत हैं ) वह बहुत ही निराशाजनक हैं ...

भारतीय राजनीति में ऐसी सब दुर्घट्नाये होती रहती हैं

जहा तक मंत्रिमंडल के सवाल हैं आज के ताजा खबर से जिस प्रकार का चुनाव सोनिया जी और मनमोहन जी ने किया हैं वो बहुत ही सराहनीय हैं..

जिस मंत्रिमंडल में युवावों के उत्साह हैं उसी मंत्रिमंडल में अनुभव लबालब भरा हुआ हैं...

उम्मीद हैं मंत्रिमंडल की यह नहीं स्थिति को देख कर आप भी अपने विचार बदल देंगी ..



और जहा तक बात ममता दीदी की हैं तो वो अपने में लाजवाब हैं लेकिन shayed यह उन्हें नहीं मालूम था की UPA सरकार ने पहले ही बी प एल के लिए १५ रूपये के महीने के पास के लिए announce कर दिया था और वह लागू हो चूका हैं...

हम तो आपकी लेखनी के कायल हैं और जिस प्रकार आपने अपने लेखनी se इन संदर्भो को इक सूत्र में बाधा हुआ वो देख कर हम आपको सत् सत नमस्कार करते हैं..

आपका

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