बुधवार को पांचवा और अंतिम चरण का मतदान समाप्त हो गया है उसके साथ ही लोकसभा चुनावी जंग भी समाप्त हो गया है और अब दो दिन बाद यानि कि 16 मई को किसकी झोली में क्या आयेगा इसका बडी बेसब्री के साथ इंतजार हो रहा है। परिणाम में किसे क्या मिलेगा यह महत्वपूर्ण है और अभी पूरा देश यह जानने को बेताब है। दूसरी ओर अभी तक चुनाव समिति के प्रतिबंध के कारण चुपचाप बैठी टीवी चैनलें मैदान में आ गई है और एक्जिट पॉल की बममारी शुरु हो गई है। टीवी चैनलों पर बैठे विशेषज्ञ अपने-अपने मुताबिक शेखिया बघार रहे है।
इसमें कुछ नया भी नहीं है और अधिकांश टीवी चैनलें एक बात से सहमत है कि इसबार किसी भी दल को पूर्ण बहुमती नहीं मिलेगी और भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों को जमकर पसीना बहाना पडेगा। हमारी टीवी चैनलों ने किए सर्वे के मुताबिक इसबार छोटे-छोटे दलों का महत्व एकदम बढ जायेगा और बडे दलों को छोटे दलों के पैर पकडकर उन्हें मनाना पडेगा। यह सर्वविदित हकीकत है कि, जबसे चुनावी घोषणा हुई तब से हम सभी यह जानते है। हमारे यहां जिस तरह प्रादेशिक दलों की ताकत बढती जा रही है उसे देख भाजपा-कांग्रेस दोनों में से किसी की भी 200 का आंकडा पार करने की ताकत नहीं है।
सिर्फ हमारे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में एक्जिट पॉल से बडा शायद ही कोई झूठ देखने को नहीं मिलेगा। जिस चुनावी प्रक्रिया के साथ लाखों लोग जुडे हुए हो और उन लाखों लोगों के मतों के आधार पर कौन सत्ता में आयेगा और कौन सत्ता से बाहर जायेगा इसका निर्णय लेना हो उसका फैसला टीवी चैनलें 200-500 लोगों को पूछकर कर देती है और इससे बडा कोई झूठ क्या हो सकता है? हमारे यहां अधिकांश लोकसभा बैठकों पर अब दस लाख जितने वोटर है और टीवी चैनलें जिन 100-200 लोगों से सवाल पूछती है वे इन दस लाख लोगों की आवाज कैसे बन सकते है?
मतलब यह कि यह बहुत बडा धोखा है और इसी वजह से अभी तक हमारे यहां जो भी एक्जिट पॉल हुए है वे सब गलत ही साबित हुए है। चैनलवाले भी यह सारी बातें अच्छी तरह समझते है लेकिन उन्हें भी उनकी दुकान चलानी होती है इसलिए ‘लगा तो तीर, नहीं तो तुक्का’ के दम पर यह सारा खेल खेला जाता है।
दूसरी बात यह कि ऐसे एक्जिट पॉल गलत साबित हो तो भी हम या दूसरा कोई क्या कर सकता है? कोई इसका जवाब मांगने थोडे ही जायेगा। यह बात चैनलवाले अच्छी तरह से जानते है।
अभी तक का हमारा अनुभव ऐसा ही रहा है कि एक्जिट पॉल गलत ही साबित हुए है लेकिन एसबार का जो माहौल है उसे देख ऐसा लग रहा है कि शायद पहलीबार एक्जिट पॉल हकीकत में बदल जाये। इसका मतलब यह नहीं कि टीवी चैनलवाले या जिन लोगों ने सर्वे किया है वे सभी ज्यादा चतुर हो गये है या उनमें ज्यादा अक्ल आ गई है। इसबार का राजनीतिक माहौल ही कुछ ऐसा है और उसके कारण एक्जिट पॉल किए बिना ही कोई भी कह सकता है कि इसबार किसी भी दल को पूर्ण बहुमती नहीं मिलेगी और ना ही कोई दल अपनी ताकत पर सरकार बना पायेगी।
लोकसभा चुनाव परिणाम दो दिन बाद घोषित होनेवाले ही है और उस समय दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। तब तक के लिए...
जय हिंद
पूज्य माँ
11 वर्ष पहले
3 टिप्पणियां:
4-5 exit poll देखे... पहली बार है कि सबके सुर मिल रहे है... पर मतदाता हर बार चकित करता है.. देखे इस बार..
ज्योतिषी हो या एक्जिटपोल वाले...भारी पोलम-पोल होती है..लगा तो तीर..नहीं तो हीं हीं हीं कर देंगे.
aap bhi aa gaye exit poll ke jhanse mein..
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